Friday, December 26, 2014

"तन्हा है रातें ,हर इक लम्हा ,कभी इत्तेफाकन मुलाकात होगी,
छुपाये हैं हमने लाखों प्रश्न दिल में ,कभी इत्तेफाकन हर इक बात होगी,
गुज़ारिश यहीं है,तमन्ना यहीं है ,तेरे सजदे खुद को फना तब करेंगे ,
मिलोगी हमे फिर से तुम उन गलियों में,कभी इत्तेफाकन वही रात होगी" ..
प्रेम के व्याकरण सूक्त दोहे जो  हैं ,
तेरी हर एक अदा हमको मोहे जो हैं ,
प्रेम युहीं मुकम्मल हुआ तो नही,
तुझको पाया मगर ,खुद को खोये  जो हैं ,|
बस मैं हूँ और मेरी तन्हाई है,
चारों ओर गमो की परछाई है ,
यूँही निकल पड़े है अश्क आँखों से ,
बस तुम्हारी याद सी आई है .|

कुछ फासले भी हैं,कुछ दूरियां भी है ,
कैसे करोगे ऐतबार, कुछ मजबूरियाँ भी है,
रखना संभाल क कदम राह -ए -मोहब्बत में ,
कहीं कुएँ है तो कहीं खाई है ,
बस मैं हूँ ओर मेरी तन्हाई है ,,,,,|