मेरी नई गजल के चंद शेर ..अपनी प्रतिक्रिया
अवश्य दें ताकि मैं और भी अच्छा लिखने का प्रयास क्र सकूँ ,धन्यवाद..
ये जिन्दगी
करवटें बदलती हुई
गुमनाम-सी ये जिन्दगी ,
हो गयी है अब तो
सर-ए-आम-सी ये जिन्दगी ,
अस्मिता बाकी नहीं
,सब खेलते जी जान से ,
हो गयी पल भर में हीं
बदनाम-सी ये जिन्दगी ,
अब उषा की आस भी कोई
नहीं बाकी रही ,
ढल रही है देख लो अब
शाम सी ये जिन्दगी ||
@सर्वाधिकार सुरक्षित
मयंक
आर्यन (कैमूर,बिहार)