Friday, September 2, 2016

""""शायरी """"

मोहब्बत के अपने ,कुछ रिवाज तो दो ,
होठों से न सही आँखों से आगाज तो दो |
यकीन नही है क्या ? तुम्हें मेरी मोहब्बत पे ,
 मैं दौड़ा चला आऊंगा ,दिल एक आवाज तो दो || 

नजरों में उसके इश्क़ का आगाज भी था ,
वो रूठा था मुझसे ,नाराज भी था |
सफ़र में कितना दूर निकल गया है वो ,
सुनाई नही देता उसे ,मैंने दिया आवाज भी था ||




मैं नहीं हूँ 

वो नींदों में है ,हमारे मगर ,
उनकी रातों में मैं नहीं हूँ |
वो लफ्जों में है हमारे मगर .
उनकी बातों में मैं नही हूँ |

वो गीतों में है हमारे मगर ,
उनके गानों में मैं नही हूँ ,
वो कहानी मैं है हमारे मगर ,
उनके फ़सानो में मैं नही हूँ||

वो तन्हाईयों में हैं हमारे मगर ,
उनकी महफ़िल में मैं नहीं हूँ ,
वो धडकनों में हैं हमारे मगर ,
उनके दिल में मैं नही हूँ ||

वो झरनों में हैं हमारे मगर ,
उनकी रवानी में मैं नही हूँ ,
वो फ़सानों में हैं हमारे मगर,
उनके कहानी में मैं नहीं हूँ||

वो यादों में हैं हमारे मगर,
उनके ख़यालों में मैं नहीं हूँ ,
वो जवाबों में हैं हमारे मगर ,
उनके सवालों में मैं नही हूँ ||

वो नदियों में हिं हमारे मगर ,
उनके किनारों में मैं नहीं हूँ,
वो चाँद है हमारा मगर ,
उनके सितारों में मैं नहीं हूँ ||

वो सावन में हैं हमारे मगर ,
उनके झूलों में मैं नही हूँ ,
वो फूलों में है हमारे मगर ,
उनके शूलों में मैं नहं हूँ||

वो सादगी में हैं हमारे मगर,
उनकी अदाओं में मैं नही हूँ ,
वो सजदे में हैं हमारे मगर ,
उनकी दुआओं में मैं नहीं हूँ ||
      (मयंक आर्यन)


रफ़्ता -रफ़्ता 

रफ़्ता-रफ़्ता जल रहा है दिल ,
ये आग कैसा है,
बिखरी पड़ी हैं कोंपलें,
ये गुलाब कैसा है ,
बार-बार टूट जाता है बिखरकर ,
आखिर 
ये ख़्वाबकैसा है ,
सितारे बेवफ़ा हो गये क्या ?
जरा पूछो तो ,
माहताब कैसा है ,
ये नूर जो बार-बार छेड़ रहा है मुझको ,
जरा पता तो करो ,
 ये आफ़ताब कैसा है,
जरा बेहोश क्या हुए ,सब खलने लगे मुझसे ,
खुद ही पिलाकर पूछते है , सितमगर ,
ये शराब कैसा है||

(मयंक आर्यन)



रफ़्ता -रफ़्ता 

रफ़्ता-रफ़्ता जल रहा है दिल ,
ये आग कैसा है,
बिखरी पड़ी हैं कोंपलें,
ये गुलाब कैसा है ,
बार-बार टूट जाता है बिखरकर ,
आखिर 
ये ख़्वाबकैसा है ,
सितारे बेवफ़ा हो गये क्या ?
जरा पूछो तो ,
माहताब कैसा है ,
ये नूर जो बार-बार छेड़ रहा है मुझको ,
जरा पता तो करो ,
 ये आफ़ताब कैसा है,
जरा बेहोश क्या हुए ,सब खलने लगे मुझसे ,
खुद ही पिलाकर पूछते है , सितमगर ,
ये शराब कैसा है||

(मयंक आर्यन)