Wednesday, July 6, 2016

"""""""""""""""ज़माने बदल गये"""""""""""""""""""""

माह बदले ,साल बदले और ज़माने बदल गये,कल तलक जो हमने सूने थे, वो फ़साने बदले गये,गर कभी हो सामना,उस राह से ,तो पूछना ऐ!शोख़ दिल ,क्यों घर बदले, मकां बदले, और ठिकाने बदल गये||हर तरफ इन्सान है, पर कहीं इंसानियत दिखती नहीं,बेसहारे को जो दे सहारा, अब ऐसी शख्सियत दिखती नहीं,हर तरफ़ कोहराम है,इंसान ही इंसान को अब लुटते,स्वार्थ में अब हो विवश, अब बेटे माँ-बाप को ना पूछते,तु हीं बता अब ऐ! खुदा कैसे जिया जाये यहाँ.क्यों लोग बदले, रिश्ते बदले और अपने बदल गये||''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''"""""""""""(मयंक आर्यन)