Friday, September 30, 2016

सब तार-तार हुए जाते हैं, रिश्तों अब में पुख्तगी ना रही ,
बेशर्मियत आसमां छूने लगी है ,आँखों में वो शाइस्तगी न रही ,
अपनी तहजीब-ओ-इल्म भूलने लगे है सब खुदाया मेरे ,
अब वो सूर ,वो साज ,वो सीरत, वो मौसिक़ी न रही ||
                                       (मयंक आर्यन )

sab taar-taar hue jaate hain, rishton ab mein pukhtagee na rahee ,
besharmiyat aasamaan chhoone lagee hai ,aankhon mein vo shaistagee na rahee ,
apanee tahajeeb-o-ilm bhoolane lage hai sab khudaaya mere ,
ab vo soor ,vo saaj ,vo seerat, vo mausiqee na rahee ||
(mayank aaryan )


تمام تار تار ہوئے جاتے ہیں، رشتوں اب میں پكھتگي نہ رہی،
بےشرميت آسماں چھونے لگی ہے، آنکھوں میں وہ شاستگي نہ رہی،
اپنی تہذیب و علم بھولنے لگے ہے سب خدایا میرے،
اب وہ صور، وہ ساز، وہ سیرت، وہ موسقي نہ رہی ||
                                        (مینک آری

Tuesday, September 27, 2016

Jiā zhā lēi
xīnluó gěile wǒmen yīxiē ài,
gāi míng nánzǐ shì huīhuáng de, dàshēngjíhū zhèngzài shōují ||

shì shénme ràng tā gèxìng de lìzi,“Mayank”
wǒ duì nǐ de jiémáo de yǎnlèi chǔfá xūyào ||

ā fū tǎ bo-E zài nǐ jiā guāng de yuángù,
wǒ de àihào shāo xìn ||

rán'ér, duǒzhe wǒ, ài de jiāhuo,
zài jiānkǔ de yītiān, jiārù ||
měi dāng yāoqiú shōuhuí, zài gǔdào shàng yīgè qiānzǎinánféng de,
yè Zamana, měi cì qiāo Kmbkt ||

qǐng jì zhù, shuí gěi rènhé rén de jiāhuo,
suízhe shíjiān de tuīyí, yīqiè dōu shǐ tā de hépíng Jamna ||

tā de ài zài yángguāng xià kāishǐ ránshāo,
zhēyáng tā zài wǒ de liǎn shàng, tú Julfen ||

dāng shēnghuó lèile, chīkǔ-shte,
||sǐwáng gěi tā rùshuì
 (Mayank yǎ lì'ān)
கஸல்
சில்லா, எங்களுக்கு காதல் சில வகையான கொடுக்கிறது
மனிதன் முழு அழ உள்ள, புத்திசாலித்தனம் சேகரித்து ||

என்ன அவரது ஆளுமை உதாரணம் கொடுக்க, "ஒசாமா"
உங்கள் வசைபாடுகிறார் மீது என் கண்ணீர் வேதனை || எடுக்கும்

அப்தாப்-இ உங்கள் வீட்டில் ஒளி பொருட்டு,
என் பொழுது கடிதங்கள் எரிக்க ||

எனினும், என்னை புறக்கணிப்பதால், தோழர்களே அன்பு,
ஒரு கடினமான நாள் மணிக்கு, இணைகிறது ||
பாதை ஒரு வாழ்நாள் உள்ள, ஈடுசெய்வதற்கு கோரிய போதெல்லாம்,
நீங்கள் ஜமுனா, ஒவ்வொரு முறை Kmbkt தட்டுகிறது ||

நினைவில் வைத்து கொள்ளுங்கள், யாருக்கும் தரப்படவில்லை யார் தோழர்களே,
சரியான நேரத்தில், அனைத்தும் தன் சமாதான Jamna செய்கிறது ||

சூரியன் தன் அன்பை எரிக்க தொடங்குகிறது,
என் முகத்தில் நிழல் அது, Julfen பரவுகிறது ||

வாழ்க்கை சோர்வாக போது, வலி ​​-shte பாதிக்கப்படுகின்றனர்
|| இறப்பு அவனை தூங்க கொடுக்கிறது
 (ஒசாமா ஆரிய)
Ghazal
Silla ay nagbibigay sa amin ng ilang mga uri ng pag-ibig,
Ang tao ay makinang, sa ganap na sigaw ay pagtitipon ||

Ano upang bigyan ang mga halimbawa ng kanyang pagkatao, "Mayank"
Ang aking mga luha sa iyong lashes kaparusahan tumatagal ||

Aftab-e kapakanan ng ilaw sa iyong bahay,
Aking libangan sumunog titik ||

Gayunman, pag-iwas sa akin, pag-ibig ang babae,
Sa isang magaspang na araw, sumali ||
Sa tuwing hiniling upang mabawi, sa trail-a-lifetime,
Ye Zamana, sa bawat oras katok Kmbkt ||

Tandaan, guys na ibinigay sa kahit sino,
Sa oras, ang lahat ng bagay ay gumagawa ang kanyang kapayapaan Jamna ||

Kanyang pag-ibig sa ilalim ng araw ay nagsisimula sa paso,
Upang shade ito sa aking mukha, kumakalat Julfen ||

Kapag ang buhay ay makakakuha ng pagod, magdusa sakit -shte,
|| Death ay nagbibigay sa kanya matulog
 (Mayank Aryan)

غزل
محبت کا کچھ اس طرح ہم کو صلہ دیتا ہے،
کمال کا شخص ہے، بھری محفل میں رلا دیتا ہے ||

اس پروفائل کا مثال کیا دوں "مینک"
میرے آنسوؤں کو اپنی پلکوں پہ سزا لیتا ہے ||

اپنے گھر میں آفتاب-اے-روشنی کی خاطر،
میرے خطوط کو شوق سے جلا دیتا ہے ||

کتنا بھی گریز کرو، محبت سے یاروں،
وقت کسی نہ کسی سے کسی دن، ملا دیتا ہے ||
جب بھی چاہا تلافی، راہ اے-زندگی میں،
یہ زمانہ، كمبكھت هربار گرا دیتا ہے ||

یاد رکھتا ہے، کون یںہا كسيكو یاروں،
وقت کے ساتھ، جامنا سب کچھ بھلا دیتا ہے ||

ہونے لگتی ہے جلن آفتاب کو بھی محبت سے اس کی،
وہ چھاؤں کرنے کو چہرے پہ میری، جلپھے پھیلا دیتا ہے ||

تھک جاتی ہے جب زندگی، درد سہتے -سهتے،
تو موت اس گہری نیند میں سلا دیتا ہے ||
 (مینک آرین)
गज़ल
मोहब्बत का कुछ इस तरह हमको सिला देता है ,
कमाल का शख्स है ,भरी महफ़िल में रुला देता है||

Mohabbt ka kuchh es trh se hmko sila deta hai ,
Kamal ka shkhs hai ,bhri mahfil men rula deta hai||

उसके शख्सियत का मिसाल क्या दूँ  मयंक
मेरे आंसुओं को अपनी पलकों पे सजा लेता है ||

Uske shkhsiyat ka misal kya dun mayank ”mayank”,
Mere aansuon ko apni plkon pe sja leta hai ||

अपने घर में आफ़ताब-ए-रौशनी की खातिर ,
मेरे खतों को शौक से जला देता है ||

Apne ghr me aaftab-e-raushni ki khatir,
Mere khton ko shauk se jla deta hai||

कितना भी परहेज करो ,मोहब्बत से यारों ,
वक्त किसी न किसी से किसी दिन ,मिला देता है||

Kitna bhi pahrej kro,mohbbt se yaron,
Wkt  kisi n kisi se kisi din ,mila deta||

जब भी चाहा संभलना,राह-ए-जिन्दगी में,
ये ज़माना ,कम्बखत हरबार गिरा देता है ||

Jab bhi chaha smbhlana ,raah-e-jindgi men,
Ye jamana ,kambkht har bar gira deta hai||

याद रखता है, कौन यंहा किसीको यारों ,
वक्त के साथ ,जामना सबकुछ भुला देता है ||

Yaad rkhta hai,kau yanhan kisi ko yaaron,
Wkt ke sath, jamana sab kuchh bhula deta hai||

होने लगती है जलन आफ़ताब को भी मोहब्बत से उसकी ,
वो छांव करने को चेहरे पे मेरी ,जुल्फें फैला देता है ||

Hone lgti hai jln aaftab ko bhi mhbbt se uski,
Wo chhanw krne ko chehre pe meri julfen jab faila deta hai||

थक जाती है जब जिन्दगी ,दर्द सहते सहते,
तो मौत उसे गहरी नींद में सुला देता है ||

Thk jati hai jab jindgi ,drd sahte-sahte, “mayank”
To maut use gahri nind men sula deta hai||
(मयंक आर्यन) 

Monday, September 26, 2016

tumakbo ako mapatay Ciragon,
Aye! Thee ay hindi magkano ng hangin pabalik ||

Shagufta puso pagnanais kailanman narinig sa akin,
Ang iyong eyelids mata, ano? Hindi mamasa ||

Something ay dapat magkaroon Khlis lamang ang masama ang loob,
Pag-ibig sa kanya kaya magkano, ay hindi walang puso ||

Bakit lamang makita ang kanilang sarili sa mirror Eyes stool
Ang liwanag ng araw, kaya doon ay mas mababa ||

Ang sakit ng pag-ibig, kung ano ang ikaw ay nag-aalala Mayank,
Ang ibig-A-Man Apart, ng sakit na ito ay hindi isang pamahid ||

Aitbaar pa rin ang puso, pag-ibig pay 'Mayank'
Kittle ay ang kanyang estilo, ito ay hindi isang Sitm ||

गज़ल


मेरे चिरागों को बुझाने चला है ,
ऐ! हवा तुझमें इतना दम नही है ||

शगुफ्ता दिल की हसरत को कभी सुन लिया करो ,
पलकें आँखों की तुम्हारी, क्या ? नम नहीं है ||

कुछ तो ख़लिश हुई होगी ,तभी रूठा हुआ है ,
प्यार अपना इतना भी, बेरहम नही है ||

यूँ आँखे मल के खुद को आईने में देखते क्यों हो
रौशनी आफ़ताब की ,इतनी भी कम नही है ||

इश्क़ के रोग से ,परेशां हो क्या तुम भी मयंक ,
दीद –ए-यार के अलावा ,इस मर्ज़ का कोई मरहम नही है ||

अभी भी ऐतबार है दिल को , मोहब्बत पे मयंक’,
रूठना उनकी अदा है ,ये कोई सितम नही है ||
(मयंक आर्यन)

in greek language..

Τρέχω κατάσβεση Ciragon,
Άι! Εσένα δεν είναι πολύ πίσω άνεμος ||

Shagufta επιθυμία της καρδιάς μου ακούσει ποτέ,
βλέφαρα μάτια σας, τι; Δεν υγρασία ||

Κάτι πρέπει να έχει Khlis μόνο ο αγέλαστος,
Αγαπούν τόσο πολύ, δεν είναι άκαρδοι ||

Γιατί απλά βλέπουν τους εαυτούς τους στο σκαμνί καθρέφτη Μάτια
Το φως του ήλιου, έτσι υπάρχει λιγότερη ||

Η ασθένεια της αγάπης, τι είσαι ανησυχούν Mayank,
Μήπως-A-Man Apart, αυτής της νόσου δεν είναι μία αλοιφή ||

Aitbaar ακόμα η καρδιά, η αγάπη των αμοιβών »Mayank»

Kittle είναι το στυλ του, δεν είναι μια Sitm ||

in chinese language..

我跑熄灭Ciragon,
埃!你是不是多少回风||

Shagufta心脏渴望听到过我,
你的眼皮的眼睛,是什么?不潮湿||

一定是什么东西Khlis只是沉着脸,
爱她那么多,是不是无情||

为什么只看到自己在镜子中的眼睛凳子
太阳的光,所以有少||

爱的病,你有什么担心Mayank,
难道-A-满人间,这种病是不是软膏||

Aitbaar仍然心脏,爱工资'Mayank“

Kittle是他的风格,它不是一个Sitm ||

in japanese



Friday, September 23, 2016

“”सून-सून लगे अब गांव””
सून-सून लगे अब गांव ,
अब न भावे ,आँचल के छांव||

ममता ,महतारी रोवत बा ,
आंसू से आंचल धोवत बा |
बेटा के खुशीयन के खातिर,
अंखियन में सपना बोवत बा ||

बेटा भरिहें हमरो घाव ,
सून-सून लगे अब गांव||

बेटा अब, बड़का हो गईलन,
अलगे आपन ,खाब सजवलन|
रख खिड़की पर ,माई के सपना ,
ले मेहरारू ,शहर परईलन||

नियति तोहरो ,गजब बहाव,
सून-सून लगे अब गांव||

जाने कईसन पूत भइल बा ,
रिश्ता कच्चा सूत भइल बा|
माँ-बाप के सपना तोड़ गइल जे ,
लागता किस्मत रूठ गइल बा ||

देहलस किस्मत कईसन घाव ,
सून-सून लगे अब गांव||

शहर में पईसा खूब कमइलन,
आपन खूबे ,धउक जमइलन|
मोटका गद्दा पर नींद न आवे ,
माई के ,गोदी ना पवलन||

पटकलन फिर पत्थर पर पांव,
सून-सून लगे अब गांव||

शहर अ पईसा अब न भावे,
मेहरारू अब नही सुहावे |
धके सिरवा रोअस खूबे .
जब-जब याद माई के आवे||

दिलवा में कवनो रहल न चाव,
सून-सून लगे अब गांव||

रहि-रहि मनवा जब घबराये,
फिर त कुछहु समझ न आवे|
गांवे के फिर टिकट बनवइलन,
ले मेहरारू वापस आ गईलन||

धके रोवलन माई के पांव,
सून-सून लगे अब गांव||




माई से फिर माफ़ी मगंलन,
इहें रहब , इ सबसे कहलन ,
भले,पईसा कमे कमाईब,
लेकिन सूख से खा त पाईब||

एहिजे बा अब हमरो ठांव,
अच्छा लागे लगल अब गांव||
        (मयंक आर्यन)

Sunday, September 18, 2016

""काश  तू  होती पास मेरे ""

करता मोहब्बत दिन रात तुझे ,
काश तू होती पास मेरे ||

ज़माने की नजरों से तुझको बचाता ,
तारीफ़ में तेरी ,ग़ज़लें सुनाता ,
डर लगता तुझको ,रातों में जब भी ,
बांहों में भर के ,तुझे मैं सुलाता |

रखता मैं हरदम साथ तुझे .
काश तू होती पास मेरे ||

गर रूठ जाती ,तो तुझे मैं मनाता ,
बनकर मैं जोकर ,तुझको हँसता ,
होती अगर पास ,बांहों में मेरे ,
तो ख्वाबों को तेरी मैं अपना बनाता ||

होने न देता उदास तुझे ,
काश तू होती पास मेरे ||

राहों में तेरी ,मैं कालिया बिछाता ,
जुल्फों में तेरी . मैं गजरे सजाता ,
गर चाहती ,देखना चाँद को तुम,
तो मुखड़े को तेरी मैं चंदा बताता |

सितारे भी करते सलाम तुझे ,
काश तू होती पास मेरे ||

मगर ख़्वाब हैं ये , कहूँ भी तो कैसे ,
तुझे प्यार किये बिन , रहूँ भी तो कैसे ,
तुम साँस ,धड़कन ,जान हो मेरी जाना ,
जिन्दगी फिर तुम बिन , जियूं भी तो कैसे |

करता हूँ बहुत हीं  प्यार तुझे ,
काश तू होती पास मेरे ||

मगर जो भी हो .सब अच्छे  हैं  नजराने ,
हो तुम भी दीवानी ,हैं हम भी दीवाने ,
 हैं दूर हम तो क्या .मोहब्बत कम नही है ,
हमारी मोहब्बत के हैं ,अपने ही फ़साने |

दिल ये देता है पैगाम तुझे ,
काश तू होती ,पास  मेरे ||
                         (मयंक आर्यन)


Friday, September 16, 2016

""उतर गई है ,वो मुझमें जिन्दगी बनके ""(ग़ज़ल )

उतर गई है,वो मुझमे  जिन्दगी बनके ,
    बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2

जुल्फ़ हैं उसके जैसे कि काले बादल ,
बरस गई है ,वो मुझमें तिश्नगी बनके ||

नैन उसके हैं ,जैसे चमके है .नूर कोई,
कर गयी है मुझको रौशन ,रौशनी बनके ||

लब है उसके कि जैसे कोई गुलाब खिला ,
बिखर गयी है वो मुझमें ,पंखुड़ी बनके ||

बोल उसके हैं जैसे कि ,कूक कोयल की ,
छेड़े है तान कोई मुझमें ,बाँसुरी बनके ||

 मेरे गीतों ,मेरी ग़ज़लों में , अक्श है उसका ,
समा गयी है वो मुझमें ,शायरी बनके ||

नींद में है ,ख़्वाब में है ,और तन्हाई में ,
याद  आई है उसकी मुझमें यामिनी बनके ||

उतर गई है,वो मुझमे  जिन्दगी बनके ,
    बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2

                               (मयंक आर्यन )



   



Thursday, September 15, 2016

""सुनो जाना ""


सुनो जाना ,
ये दिल तुमसे इक बात कहता है,
जो डर तुमको है ,वही डर मेरे सीने में रहता है ,

तुम जात-पात और धर्म की बातें इश्क में करती हो ,
मगर जो दिल में है उसे कहने से डरती हो |

मोहब्बत का कोई जात-पात कोई खुदा नही होता ,
मोहब्बत एहसास है ,और इससे कोई जुदा नही होता ,

मैं भी मोहब्बत करता हूँ ,मगर माँ-बाप को रुसवा नही करता,
माँ-बाप क्या कहेंगे ये सोचता हूँ , पर जमाने से नही डरता ,

माँ-बाप खुश होते हैं खुश जब हम होते हैं ,
आँखे नम होती हैं उनकी , जब हमे कोई गम होते हैं ,

सुनो माँ-बाप से कुछ भी छिपाना नही चाहिए ,
दिल की बातें उनको बता देना चाहिए ,

मगर एक वक्त होता है, हर इक बात कहने का ,
एक वक्त होता है ,समझाने और समझने का ,

आने वाले वक्त को सोच क्र परेशान क्यों हो ?
हंसती हुयी जिन्दगी ,बेजान क्यों हों ?

सुनो मेरी मोहब्बत का तुम एहसास रखना ,
मैं चाहूँगा उम्र भर तुम्हें ,ये विश्वास रखना |

दूरियों से मोहब्बत ,कभी कम नही होती ,
बादल दूर है तो क्या ,जमीं नम नही होती ,

अगर तुम्हें अपनी मोहब्बत पे, जरा सा भी यकीं है ,
विरह की वेदना में भी तडपती ये जमीं है ,

सुनो तुम मेरी मोहब्बत पे ऐतबार करना ,
मेरी तरह ना ,और किसी से प्यार करना,

रुला लेना मुझे .पर देखो! खुद से दूर मत करना ,
मैं जिन्दा लाश बन जाऊंगा ,मुझे मजबूर मत करना ,

बहुत मुश्किल से मैंने ,रो कर हसना सीखा है ,
तुम मिली तो जिन्दगी को जीना सीखा है ,

मैं उमर भर युहीं तुमसे प्यार करूंगा ,
.जब तक साँस होगी ,तेरा इंतजार करूंगा ,

न कोइ शिकवा ना कोई तुमसे शिकायत होगी ,
बस तेरी मोहब्बत की इनायत होगी ,

मेरी मोहब्बत का किसी दिन खुदा को भी एहसास होगा ,
तुम्हे लौटा देगा मुझे , उस दिन तू मेरे पास होगा .

अपनी मोहब्बत की इक छोटी सी दास्ताँ लिखुगा ,
खुद को बेचैन ,और तुझको परेशां लिखुगा ,

और जैसे आसमां से मिलती है जमी ,क्षितिज पे ,
वैसे ही मिलेंगे हम भी तुझसे ,न जाने कहाँ कहीं पे || 
                            (मयंक आर्यन)

Wednesday, September 14, 2016

'''तुम्हें डर हैं ना ...'''

तुम्हें डर हैं ना ...
कि अगर तुम मेरी हो गयी तो ,
बाकी रिश्ते छूट जायेंगे ,
माँ-बाप के जो ख्वाब है ,
सब टूट जायेंगे |

तुम्हें डर हैं ना.....
जिन्होंने पाला है तुमको ,
उनपे क्या बीतेगी ?
माँ की आँखे तुम्हे दूर
जाता देखकर ,रो देगी|

तुम्हें डर है ना..
कि अगर तुम मुझे अपना कह लोगी,
तो जमाना क्या कहेगा ?
मुझे बांहों में भर लोगी ,
तो जमाना क्या कहेगा ?

तुम्हें डर है ना...
कि अगर मैं सामने आ जाऊं ,
तो खुद को ,रोक न पाओगी ,
जमाना भूलकर ,
बांहों में मेरी खो जाओगी|

तुम्हें डर है  ना ....
तुम्हें डर है ना ....
(मयंक आर्यन )

Monday, September 12, 2016


""आ ले चलूँ तुझे , सितारों में वो सनम""

इक होड़  लगी  है, किनारों  में  वो  सनम ,
मौसम  भी बदलते हैं , बहरों के वो सनम |
ये गुलशन ,ये घटा , सब नज़ारे पुराने हैं ,
आ ले चलूँ तुझे , सितारों में वो सनम ||
                                          (मयंक आर्यन )

Friday, September 2, 2016

""""शायरी """"

मोहब्बत के अपने ,कुछ रिवाज तो दो ,
होठों से न सही आँखों से आगाज तो दो |
यकीन नही है क्या ? तुम्हें मेरी मोहब्बत पे ,
 मैं दौड़ा चला आऊंगा ,दिल एक आवाज तो दो || 

नजरों में उसके इश्क़ का आगाज भी था ,
वो रूठा था मुझसे ,नाराज भी था |
सफ़र में कितना दूर निकल गया है वो ,
सुनाई नही देता उसे ,मैंने दिया आवाज भी था ||




मैं नहीं हूँ 

वो नींदों में है ,हमारे मगर ,
उनकी रातों में मैं नहीं हूँ |
वो लफ्जों में है हमारे मगर .
उनकी बातों में मैं नही हूँ |

वो गीतों में है हमारे मगर ,
उनके गानों में मैं नही हूँ ,
वो कहानी मैं है हमारे मगर ,
उनके फ़सानो में मैं नही हूँ||

वो तन्हाईयों में हैं हमारे मगर ,
उनकी महफ़िल में मैं नहीं हूँ ,
वो धडकनों में हैं हमारे मगर ,
उनके दिल में मैं नही हूँ ||

वो झरनों में हैं हमारे मगर ,
उनकी रवानी में मैं नही हूँ ,
वो फ़सानों में हैं हमारे मगर,
उनके कहानी में मैं नहीं हूँ||

वो यादों में हैं हमारे मगर,
उनके ख़यालों में मैं नहीं हूँ ,
वो जवाबों में हैं हमारे मगर ,
उनके सवालों में मैं नही हूँ ||

वो नदियों में हिं हमारे मगर ,
उनके किनारों में मैं नहीं हूँ,
वो चाँद है हमारा मगर ,
उनके सितारों में मैं नहीं हूँ ||

वो सावन में हैं हमारे मगर ,
उनके झूलों में मैं नही हूँ ,
वो फूलों में है हमारे मगर ,
उनके शूलों में मैं नहं हूँ||

वो सादगी में हैं हमारे मगर,
उनकी अदाओं में मैं नही हूँ ,
वो सजदे में हैं हमारे मगर ,
उनकी दुआओं में मैं नहीं हूँ ||
      (मयंक आर्यन)


रफ़्ता -रफ़्ता 

रफ़्ता-रफ़्ता जल रहा है दिल ,
ये आग कैसा है,
बिखरी पड़ी हैं कोंपलें,
ये गुलाब कैसा है ,
बार-बार टूट जाता है बिखरकर ,
आखिर 
ये ख़्वाबकैसा है ,
सितारे बेवफ़ा हो गये क्या ?
जरा पूछो तो ,
माहताब कैसा है ,
ये नूर जो बार-बार छेड़ रहा है मुझको ,
जरा पता तो करो ,
 ये आफ़ताब कैसा है,
जरा बेहोश क्या हुए ,सब खलने लगे मुझसे ,
खुद ही पिलाकर पूछते है , सितमगर ,
ये शराब कैसा है||

(मयंक आर्यन)



रफ़्ता -रफ़्ता 

रफ़्ता-रफ़्ता जल रहा है दिल ,
ये आग कैसा है,
बिखरी पड़ी हैं कोंपलें,
ये गुलाब कैसा है ,
बार-बार टूट जाता है बिखरकर ,
आखिर 
ये ख़्वाबकैसा है ,
सितारे बेवफ़ा हो गये क्या ?
जरा पूछो तो ,
माहताब कैसा है ,
ये नूर जो बार-बार छेड़ रहा है मुझको ,
जरा पता तो करो ,
 ये आफ़ताब कैसा है,
जरा बेहोश क्या हुए ,सब खलने लगे मुझसे ,
खुद ही पिलाकर पूछते है , सितमगर ,
ये शराब कैसा है||

(मयंक आर्यन)