Friday, August 26, 2016


""नजरें  छुपा रहे हो ....""

नजरें  छुपा रहे हो ,
दिल  में कोई राज है क्या ?
हाल-ए-दिल नही कहोगे ,ये भी कोई बात है क्या ?||

चश्म-ए-नम हैं ,
आहत सी लगती है, 
इन आँखों से हुई ,बरसात है क्या ?||

सुनो! ख्वाबों को कहो, 
घर लौट जाये अपने ,
जो तेर बगैर गुजरे, वो भी कोई रात है क्या ?||

उन यादों को तबज्जो,
ये दिल नही देता,
जिनमे तू न हो, वो भी कोई याद है क्या ?||

जब भी लफ़्ज निकले दिल से,
तेरा नाम हो,
जिसमें जिक्र न हो तेरा वो भी कोई जज्बात है क्या ?||

अगर खुदा दे मुझे कुछ,
तो सिर्फ तुझे दे,
जिसमे तू न मिले वो भी कोई सौगात है क्या ?||

                                 (मयंक आर्यन )














Thursday, August 25, 2016

my shayri: ""शायरी""मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके ,कभ...

my shayri:
""शायरी""मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके ,कभ...
: ""शायरी"" मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके , कभी छोड़ कर  न जाना , दिल में घर ठिकाना करके || करती है बेज़ा...

ज़माने बदल गये

माह बदले ,साल बदले और  ज़माने बदल गये ,
कल तलक हमने सूने थे ,वो फ़साने बदल गये ||
अपने थे जो ,सब खो गये ,अब जिन्दगी भाती नही ,
राह भी हैं खो गये , मंजिल नज़र अआती नहीं ||

गर कभी हो सामना ,उस राह से ,तो पूछना ऐ! शोख़ दिल ,
क्यों ? घर बदले ,मकां बदले और ठिकाने बदल गये ||१||


हर तरफ इंसान है ,पर कहीं इंसानियत दिखती नहीं ,
बेसहारे को दे सहारा , ऐसी शख्सियत दिखती नहीं ||
हर तरफ कोहराम है , इंसान हीं इंसान को है लूटते ,
स्वार्थ में होक विवश , बेटे माँ-बाप को न पूछते ||

तू हीं बता अब ऐ ! खुदा ,कैसे जिया जाये यहाँ ,
क्यों ? लोग बदले ,रिश्ते बदले  और अपने बदल गये ||२||


जिस तरफ़ देखा उधर ,जिंदगी घुटती दिखी ,
वक्त के इस चाकरी में , ख्वाहिशें पिसती दिखी ||
आज के इस दौर में ,इंसान बिक जाता यहाँ ,
क्या भला है ,क्या बूरा है , कौन समझाता यहाँ ||

सब जानते हैं गलत क्या है ? पर सही सोचता कोई नहीं ,
क्यों ? सोच बदले ,ख्वाब बदले  और सपने बदल गये ||३||


जिसके हाथों में है सत्ता , अब वहीँ भगवान है ,
कौड़ियों  की  भाव में , बिक रहा इंसान है ||
हर तरफ़ दुःख-दर्द  है , असत्यता का वास है ,
सत्य के भी नाम से , अब टूटता विश्वास है ||

वक्त का इक दौर था , जब प्रेम सरित का वास था ,
क्यों ? नदी बदली , रेत बदले  और किनारे बदल गये ||४||


हे ! मनुज अब जाग जाओ ,अपनी शक्ति कको जगाओ ,
अपनी मनोवृत्ति को बदलो , हर तरफ बदलाव लाओ ||
बुराइयाँ मिट जाएँगी , भ्रष्टता का लोप होगा ,
अच्छाईयां  चहुँ दिशि होंगी ,प्रेम का आलोक होगा ||
फिर अश्रु  भर आँख में ,और ह्रदय पे हाथ रख ,बुराईयाँ चिल्लएंगी ,
क्यों ? वक्त बदला ,लोग बदले और ज़माने बदल गये ||५||
                                 (मयंक आर्यन)







''''''''''शायरी """""

तब्दीलियत चाहता हूँ , पर  होती नहीं मुझमे ,,
नींदें जगती है ,पूरी रात ,सोती नहीं मुझमे ,
उसके चाहत की तड़प ,कुछ इस तरह से है ,,
सिसकती है सारी रात ,रोती नहीं मुझमें ||
                               (मयंक आर्यन)

Saturday, August 20, 2016


""शायरी""

मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके ,
कभी छोड़ कर  न जाना , दिल में घर ठिकाना करके ||

करती है बेज़ार  मुझको , अदाएं तेरी ,
बड़ी नखरे दिखाती हो , मुझको दीवाना करके  ||

उस शख्स की वफ़ा पे क्या यकीन करू ,
जिसने छोड़ा है तीर ,मेरी तरफ निशाना करके ||

मजबूर है हर धनकोष ,पैसे के लिए ,
माल्या जबसे गया है ,बैंको को दिवाला करके||
                                 (मयंक आर्यन)



सजा दे मुझको 

मेरे हमदम तेरी  सांसो में ,बसा ले मुझको ,
हूँ गुनाहगार जो तेरा , तो सजा दे मुझको ||

गर तुम्हें शक है, मेरी मोहब्बत पे तो सूनो !  जाना ,
ले ख़ंजर सिने में ,चुभा दे मुझको ||


जो बुझ गये हैं ,चिराग़ घर के तेरे ,
ले माचिस , इस बार जला दे मुझको ||


ऐ !आसमाँ  गर थक गया है तू बारिशों से ,
ले जख्म ,हाथों में मेरा और रुला दे मुझको ||