Saturday, August 20, 2016


""शायरी""

मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके ,
कभी छोड़ कर  न जाना , दिल में घर ठिकाना करके ||

करती है बेज़ार  मुझको , अदाएं तेरी ,
बड़ी नखरे दिखाती हो , मुझको दीवाना करके  ||

उस शख्स की वफ़ा पे क्या यकीन करू ,
जिसने छोड़ा है तीर ,मेरी तरफ निशाना करके ||

मजबूर है हर धनकोष ,पैसे के लिए ,
माल्या जबसे गया है ,बैंको को दिवाला करके||
                                 (मयंक आर्यन)



सजा दे मुझको 

मेरे हमदम तेरी  सांसो में ,बसा ले मुझको ,
हूँ गुनाहगार जो तेरा , तो सजा दे मुझको ||

गर तुम्हें शक है, मेरी मोहब्बत पे तो सूनो !  जाना ,
ले ख़ंजर सिने में ,चुभा दे मुझको ||


जो बुझ गये हैं ,चिराग़ घर के तेरे ,
ले माचिस , इस बार जला दे मुझको ||


ऐ !आसमाँ  गर थक गया है तू बारिशों से ,
ले जख्म ,हाथों में मेरा और रुला दे मुझको ||