अपनी ये मुक्तक ,एक आशा
और अनुरोध के साथ वर्तमान सदी के पुत्रों को समर्पित करता हूँ जो अपने माँ-बाप को
उनके वृद्धा अवस्था में उन्हें छोड़ देते हैं .. आशा है वो अपने मां-बाप की भावनाओं
को समझेंगे ,और अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयत्न करेंगे ..धन्यवाद ...
हृदय की वेदनाओं को ,हृदय
में हीं समोती है ,
तुम्हारी याद आने पर ,खिलौनों को संजोती है ,
अवस्था ढल गयी उसकी, तो ठुकरा दिया तुमने ,
जो कल तुमको हसाती थी,वही मां आज रोती है |
(मयंक आर्यन)