बहुत खुबसूरत हो तुम
बहुत खुबसूरत हो तुम ..
हैं जुल्फ़ तेरे हो जैसे की बादल,
लहराये ऐसे कि जैसे हो आंचल,
हैं भौहें तुम्हारी कि जैसे कमानी,
आँखों का जादू किये जाये पागल |
यादों से अपनी भूलाना ना मुझको,
नजरों से अपनी गिराना ना मुझको,
कि मंदिर-ए-दिल की मुरत हो तुम|
बहुत खुबसूरत हो तुम ..||
हैं होठ तुम्हारे , जैसे हो गुलाब कोई,
बला का है हुस्न, तुम हो शवाब कोई,
जो तुमको मैं पढ़ लूँ, शायरी आ सी जाये,
ग़जल की मुकम्मल, तुम हो किताब कोई ||
खुदा की नजर से, चुराया है तुमको,
बहुत ही नसीबों से पाया है तुमको,
मेरे दिल की हसरत हो तुम|
बहुत खुबसूरत हो तुम ..||
खुशियाँ जहाँ की, अर्पण तुम्हें है,
छुप-छुप के देखे, दर्पण तुम्हें है,
तुम्हीं से है सासें, है जीवन तुम्हीं से
अब हृदय भी हमारा समर्पण तुम्हें है ||
धड़के तेरे नाम से दिल हमारा,
तेरे बिन है हमको न जीना गंवारा,
कि साँसों की जरूरत हो तुम|
बहुत खुबसूरत हो तुम||
हैं बाहें तुम्हारी ,फूलों की डाली ,
सूरज ने दिया, तेरी अधरों को लाली,
यूं सबसे अनोखी, तेरी सादगी है ,
निगाहों की तेरी, अदा है निराली||
जाने कहाँ ये फ़साना है निकला,
खुदा भी तेरा अब दीवाना है निकला,
कि परियों की सूरत हो तुम|
बहुत खुबसूरत हो तुम ..||
(मयंक आर्यन)
(मयंक आर्यन)