my shayri:
""शायरी""मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके ,कभ...: ""शायरी"" मेरे ख़्वाब में आ जाना कोई बहाना करके , कभी छोड़ कर न जाना , दिल में घर ठिकाना करके || करती है बेज़ा...
Thursday, August 25, 2016
ज़माने बदल गये
माह बदले ,साल बदले और ज़माने बदल गये ,
कल तलक हमने सूने थे ,वो फ़साने बदल गये ||
अपने थे जो ,सब खो गये ,अब जिन्दगी भाती नही ,
राह भी हैं खो गये , मंजिल नज़र अआती नहीं ||
राह भी हैं खो गये , मंजिल नज़र अआती नहीं ||
गर कभी हो सामना ,उस राह से ,तो पूछना ऐ! शोख़ दिल ,
क्यों ? घर बदले ,मकां बदले और ठिकाने बदल गये ||१||
हर तरफ इंसान है ,पर कहीं इंसानियत दिखती नहीं ,
बेसहारे को दे सहारा , ऐसी शख्सियत दिखती नहीं ||
हर तरफ कोहराम है , इंसान हीं इंसान को है लूटते ,
स्वार्थ में होक विवश , बेटे माँ-बाप को न पूछते ||
तू हीं बता अब ऐ ! खुदा ,कैसे जिया जाये यहाँ ,
क्यों ? लोग बदले ,रिश्ते बदले और अपने बदल गये ||२||
जिस तरफ़ देखा उधर ,जिंदगी घुटती दिखी ,
वक्त के इस चाकरी में , ख्वाहिशें पिसती दिखी ||
आज के इस दौर में ,इंसान बिक जाता यहाँ ,
क्या भला है ,क्या बूरा है , कौन समझाता यहाँ ||
सब जानते हैं गलत क्या है ? पर सही सोचता कोई नहीं ,
क्यों ? सोच बदले ,ख्वाब बदले और सपने बदल गये ||३||
जिसके हाथों में है सत्ता , अब वहीँ भगवान है ,
कौड़ियों की भाव में , बिक रहा इंसान है ||
हर तरफ़ दुःख-दर्द है , असत्यता का वास है ,
सत्य के भी नाम से , अब टूटता विश्वास है ||
वक्त का इक दौर था , जब प्रेम सरित का वास था ,
क्यों ? नदी बदली , रेत बदले और किनारे बदल गये ||४||
हे ! मनुज अब जाग जाओ ,अपनी शक्ति कको जगाओ ,
अपनी मनोवृत्ति को बदलो , हर तरफ बदलाव लाओ ||
बुराइयाँ मिट जाएँगी , भ्रष्टता का लोप होगा ,
अच्छाईयां चहुँ दिशि होंगी ,प्रेम का आलोक होगा ||
फिर अश्रु भर आँख में ,और ह्रदय पे हाथ रख ,बुराईयाँ चिल्लएंगी ,
क्यों ? वक्त बदला ,लोग बदले और ज़माने बदल गये ||५||
(मयंक आर्यन)
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