""सुनो जाना ""
सुनो जाना ,
ये दिल तुमसे इक बात कहता है,
जो डर तुमको है ,वही डर मेरे सीने में रहता है ,
तुम जात-पात और धर्म की बातें इश्क में करती हो ,
मगर जो दिल में है उसे कहने से डरती हो |
मोहब्बत का कोई जात-पात कोई खुदा नही होता ,
मोहब्बत एहसास है ,और इससे कोई जुदा नही होता ,
मैं भी मोहब्बत करता हूँ ,मगर माँ-बाप को रुसवा नही करता,
माँ-बाप क्या कहेंगे ये सोचता हूँ , पर जमाने से नही डरता ,
माँ-बाप खुश होते हैं खुश जब हम होते हैं ,
आँखे नम होती हैं उनकी , जब हमे कोई गम होते हैं ,
सुनो माँ-बाप से कुछ भी छिपाना नही चाहिए ,
दिल की बातें उनको बता देना चाहिए ,
मगर एक वक्त होता है, हर इक बात कहने का ,
एक वक्त होता है ,समझाने और समझने का ,
आने वाले वक्त को सोच क्र परेशान क्यों हो ?
हंसती हुयी जिन्दगी ,बेजान क्यों हों ?
सुनो मेरी मोहब्बत का तुम एहसास रखना ,
मैं चाहूँगा उम्र भर तुम्हें ,ये विश्वास रखना |
दूरियों से मोहब्बत ,कभी कम नही होती ,
बादल दूर है तो क्या ,जमीं नम नही होती ,
अगर तुम्हें अपनी मोहब्बत पे, जरा सा भी यकीं है ,
विरह की वेदना में भी तडपती ये जमीं है ,
सुनो तुम मेरी मोहब्बत पे ऐतबार करना ,
मेरी तरह ना ,और किसी से प्यार करना,
रुला लेना मुझे .पर देखो! खुद से दूर मत करना ,
मैं जिन्दा लाश बन जाऊंगा ,मुझे मजबूर मत करना ,
बहुत मुश्किल से मैंने ,रो कर हसना सीखा है ,
तुम मिली तो जिन्दगी को जीना सीखा है ,
मैं उमर भर युहीं तुमसे प्यार करूंगा ,
.जब तक साँस होगी ,तेरा इंतजार करूंगा ,
न कोइ शिकवा ना कोई तुमसे शिकायत होगी ,
बस तेरी मोहब्बत की इनायत होगी ,
मेरी मोहब्बत का किसी दिन खुदा को भी एहसास होगा ,
तुम्हे लौटा देगा मुझे , उस दिन तू मेरे पास होगा .
अपनी मोहब्बत की इक छोटी सी दास्ताँ लिखुगा ,
खुद को बेचैन ,और तुझको परेशां लिखुगा ,
और जैसे आसमां से मिलती है जमी ,क्षितिज पे ,
वैसे ही मिलेंगे हम भी तुझसे ,न जाने कहाँ कहीं पे ||
(मयंक आर्यन)