Friday, September 16, 2016

""उतर गई है ,वो मुझमें जिन्दगी बनके ""(ग़ज़ल )

उतर गई है,वो मुझमे  जिन्दगी बनके ,
    बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2

जुल्फ़ हैं उसके जैसे कि काले बादल ,
बरस गई है ,वो मुझमें तिश्नगी बनके ||

नैन उसके हैं ,जैसे चमके है .नूर कोई,
कर गयी है मुझको रौशन ,रौशनी बनके ||

लब है उसके कि जैसे कोई गुलाब खिला ,
बिखर गयी है वो मुझमें ,पंखुड़ी बनके ||

बोल उसके हैं जैसे कि ,कूक कोयल की ,
छेड़े है तान कोई मुझमें ,बाँसुरी बनके ||

 मेरे गीतों ,मेरी ग़ज़लों में , अक्श है उसका ,
समा गयी है वो मुझमें ,शायरी बनके ||

नींद में है ,ख़्वाब में है ,और तन्हाई में ,
याद  आई है उसकी मुझमें यामिनी बनके ||

उतर गई है,वो मुझमे  जिन्दगी बनके ,
    बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2

                               (मयंक आर्यन )