""उतर गई है ,वो मुझमें जिन्दगी बनके ""(ग़ज़ल )
उतर गई है,वो मुझमे जिन्दगी बनके ,
बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2
जुल्फ़ हैं उसके जैसे कि काले बादल ,
बरस गई है ,वो मुझमें तिश्नगी बनके ||
नैन उसके हैं ,जैसे चमके है .नूर कोई,
कर गयी है मुझको रौशन ,रौशनी बनके ||
लब है उसके कि जैसे कोई गुलाब खिला ,
बिखर गयी है वो मुझमें ,पंखुड़ी बनके ||
बोल उसके हैं जैसे कि ,कूक कोयल की ,
छेड़े है तान कोई मुझमें ,बाँसुरी बनके ||
मेरे गीतों ,मेरी ग़ज़लों में , अक्श है उसका ,
समा गयी है वो मुझमें ,शायरी बनके ||
नींद में है ,ख़्वाब में है ,और तन्हाई में ,
याद आई है उसकी मुझमें यामिनी बनके ||
उतर गई है,वो मुझमे जिन्दगी बनके ,
बस गयी है ,वो दुआओं में बंदगी बनके|| .....2
(मयंक आर्यन )