Tuesday, February 24, 2015

"माँ "
"जब भी रूठता हूँ खुद से ,वो मुझे मनाती है ,
वो माँ ही है जी मुझे हमेशा समझाती है ,
कैसे चलती है दुनिया ,वो मुझे बताती है ,
वो माँ है जो मुझे सबसे ज्यादा चाहती है |"

"तन्हाईयों में माँ अक्सर, माँ ही याद आती है ,
 होता हूँ जो तुझसे दूर माँ ,मुझे तेरी याद आती है ,
सोचता हूँ अक्सर ,तुम इतनी अनोखी क्यों हो ,
तुम्हे याद करके माँ ,मेरी पलके भींग जाती है |"\
  
"तेरे पास रहना चाहता हूँ मै माँ ,
फिर तेरे हाथो से खाना चाहता हूँ मैं माँ ,
मई तेरा ही अंश हूँ ,ये तस्वीर नजरे दिखाती है ,
ऐ ! माँ सुनो ना ,, तुम्हारी याद हमेशा आती है .."



"विहग गण पूछते हमसे बताओ बात कैसी है.
बहुत मचले  हो तुम दिन को, सहज अब रात कैसी है ,
निखर है चांदनी फिर भी , हो मायूस इतना क्यों?
लिए परियों सी सुन्दरता तुम्हारी चाँद कैसी है ...."