Wednesday, April 5, 2017

मेरे लहजों में बेइंतहा इजाफ़ा हो गया..

मेरे लहजों में बेइंतहा इजाफ़ा हो गया ,
वो इस कदर लिपटा कि ,साफ़ा हो गया ,

जो तूने मेरी याद में ,कभी लिखे ही नहीं ,
उन गुमनाम खतों का ,मैं लिफ़ाफ़ा हो गया ,

तेरे हुस्न-ओ-नूर बढ़ने लगे हैं अब तो ,
चाँद भी तेरे बदन का सराफा हो गया ||

           @सर्वाधिकार सुरक्षित
               मयंक आर्यन (कैमूर,बिहार)

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