मेरे लहजों
में बेइंतहा इजाफ़ा हो गया..
मेरे लहजों में
बेइंतहा इजाफ़ा हो गया ,
वो इस कदर लिपटा कि
,साफ़ा हो गया ,
जो तूने मेरी याद में
,कभी लिखे ही नहीं ,
उन गुमनाम खतों का ,मैं
लिफ़ाफ़ा हो गया ,
तेरे हुस्न-ओ-नूर
बढ़ने लगे हैं अब तो ,
चाँद भी तेरे बदन का
सराफा हो गया ||
@सर्वाधिकार सुरक्षित
मयंक
आर्यन (कैमूर,बिहार)
No comments:
Post a Comment